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जंगल में एक मोटा सा भालू रहता था। उसका नाम था भोलू। भोलू को मस्ती करने में बहुत मज़ा आता था। एक दिन उसने जंगल के तालाब में नहाने का फैसला किया। तालाब में एक कछुआ तैर रहा था। भोलू ने तालाब में छपाक से छलांग लगाई। पानी की छींटे कछुए पर पड़ गए। कछुआ गुस्सा हो गया। उसने भोलू को डाँटा। भोलू हँसने लगा। उसने कहा कि वह तो मस्ती कर रहा था। इसके बाद भोलू ने तालाब के किनारे एक बड़ा सा पत्थर देखा। उसने पत्थर को उठाने की कोशिश की। लेकिन पत्थर बहुत भारी था। भोलू पत्थर के साथ ही ज़मीन पर गिर पड़ा। कछुआ हँसने लगा। भोलू ने हँसकर कहा कि वह पत्थर उठाने में अच्छा नहीं है। इसके बाद भोलू ने एक पेड़ पर चढ़ने की सोची। पेड़ पर एक शहद का छत्ता था। भोलू शहद खाना चाहता था। उसने पेड़ पर चढ़ना शुरू किया। लेकिन उसका वजन इतना ज्यादा था कि पेड़ की डाल टूट गई। भोलू ज़मीन पर गिर पड़ा। शहद का छत्ता भी नीचे गिर गया। मधुमक्खियाँ भोलू के पीछे भागने लगीं। भोलू डर गया और तालाब में कूद गया। मधुमक्खियाँ चली गईं। भोलू हँसने लगा। उसने कहा कि शहद खाना उसके लिए मुश्किल है। इसके बाद भोलू ने एक हिरण को देखा। उसने हिरण के साथ दौड़ लगाने की सोची। लेकिन भोलू दौड़ते-दौड़ते हाँफने लगा। हिरण बहुत तेज़ था। भोलू ने हँसकर कहा कि वह दौड़ने में हार गया। सूरज ढलने पर भोलू अपने गुफा में लौट आया। उसने सोचा कि वह कल फिर मस्ती करेगा।
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