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एक गाँव के पास एक बड़ा सा पेड़ था। लोग कहते थे कि वह पेड़ भूतिया है। रात को पेड़ के पास से अजीब-अजीब आवाज़ें आती थीं। एक दिन गाँव के तीन बच्चे—कमल, दीपक, और अनु—ने पेड़ देखने का फैसला किया। वे रात को पेड़ के पास गए। पेड़ की डालियाँ हवा में हिल रही थीं। कमल ने अपनी टॉर्च जलाई। पेड़ की जड़ों में एक बड़ा सा गड्ढा था। गड्ढे से ठंडी हवा निकल रही थी। अनु ने गड्ढे में झाँककर देखा। अचानक एक काली बिल्ली गड्ढे से बाहर कूदी। अनु डर गई और पीछे हट गई। दीपक ने हँसकर कहा कि यह तो सिर्फ़ एक बिल्ली है। लेकिन तभी पेड़ की डालियों से एक अजीब सी आवाज़ आई। आवाज़ ऐसी थी जैसे कोई हँस रहा हो। कमल ने टॉर्च की रोशनी ऊपर की। वहाँ एक उल्लू बैठा था। उल्लू की आँखें चमक रही थीं। उल्लू ने अपनी आवाज़ निकाली। सभी बच्चे समझ गए कि यह उल्लू की आवाज़ थी। अनु ने राहत की साँस ली। इसके बाद उन्होंने पेड़ के चारों तरफ देखा। पेड़ की छाल पर कुछ पुराने निशान थे। निशानों को देखकर ऐसा लग रहा था जैसे किसी ने कुछ लिखा हो। कमल ने निशानों को छूकर देखा। वे बहुत पुराने थे। दीपक ने कहा कि शायद यह पेड़ सच में भूतिया है। लेकिन अनु ने कहा कि यह सिर्फ़ एक पुराना पेड़ है। उन्होंने पेड़ के पास एक छोटा सा तालाब देखा। तालाब में चाँद की परछाई दिख रही थी। कमल ने तालाब में एक पत्थर फेंका। पानी में छपाक की आवाज़ हुई। इसके बाद वे पेड़ के नीचे बैठ गए। उन्होंने आसमान में तारे देखे। अनु ने एक टूटता तारा देखा। उसने अपनी आँखें बंद कीं और एक इच्छा माँगी। उसने इच्छा माँगी कि वे फिर से ऐसी सैर करें। रात होने पर वे घर लौट आए। उन्होंने अपने माता-पिता को पेड़ की सारी बातें बताईं।
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