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जंगल में एक शरारती गिलहरी रहती थी। उसका नाम था चीकू। चीकू को शरारत करने में बहुत मज़ा आता था। एक दिन उसने जंगल के हिरण को परेशान करने की सोची। हिरण जंगल में घास खा रहा था। चीकू ने एक पेड़ पर चढ़कर हिरण के ऊपर एक छोटा सा पत्थर फेंका। पत्थर हिरण के सिर पर लगा। हिरण डर गया और तेज़ी से भागने लगा। चीकू हँसते-हँसते पेड़ से नीचे गिर गया। हिरण ने चीकू को देखा और समझ गया कि यह उसकी शरारत थी। हिरण ने चीकू को डाँटने की कोशिश की, लेकिन चीकू तेज़ी से भाग गया। अगले दिन चीकू ने एक मोर को परेशान करने की सोची। मोर अपने पंख फैलाकर नाच रहा था। चीकू ने एक छोटा सा कंकड़ उठाया और मोर के पास फेंक दिया। कंकड़ मोर के पंखों पर लगा। मोर डर गया और अपने पंख समेटकर भाग गया। चीकू हँसने लगा। लेकिन जंगल का एक बूढ़ा कछुआ सब देख रहा था। कछुए ने चीकू को बुलाया। उसने चीकू को समझाया कि शरारत से किसी को तकलीफ नहीं देनी चाहिए। चीकू ने कछुए की बात सुनी। उसने हिरण और मोर से माफी माँगी। हिरण और मोर ने उसे माफ कर दिया। इसके बाद चीकू ने एक नई शरारत सोची। उसने जंगल के एक तालाब में एक नकली मछली डाल दी। तालाब में एक मगरमच्छ तैर रहा था। मगरमच्छ ने नकली मछली को देखा और उसे खाने की कोशिश की। लेकिन मछली नकली थी। मगरमच्छ गुस्सा हो गया। उसने चीकू को देख लिया। चीकू डर गया और एक पेड़ पर चढ़ गया। मगरमच्छ तालाब में ही रह गया। चीकू हँसते-हँसते पेड़ पर बैठा रहा। उसने सोचा कि वह अब सावधानी से शरारत करेगा।
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