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एक छोटे से गाँव में एक तालाब था। उस तालाब में एक जादुई मछली रहती थी। उसका नाम था सुनहरी। सुनहरी का रंग सुनहरा था। एक दिन एक लड़का, जिसका नाम था वीर, तालाब के किनारे मछली पकड़ने गया। उसने अपनी मछली पकड़ने वाली छड़ी पानी में डाली। अचानक उसकी छड़ी में कुछ भारी चीज़ फँस गई। वीर ने छड़ी खींची। पानी से सुनहरी मछली बाहर आई। सुनहरी ने वीर से कहा कि वह उसे छोड़ दे। उसने कहा कि वह उसकी एक इच्छा पूरी करेगी। वीर ने मछली को वापस पानी में छोड़ दिया। उसने अपनी इच्छा सोची। उसने कहा कि वह एक बड़ा सा महल चाहता है। सुनहरी ने अपनी पूँछ हिलाई। अचानक तालाब के पास एक बड़ा सा महल बन गया। महल की दीवारें सोने की थीं। वीर महल में गया। महल के अंदर रंग-बिरंगे फूलों का बगीचा था। बगीचे में एक छोटा सा झरना बह रहा था। झरने का पानी चमक रहा था। वीर ने झरने के पास बैठकर पानी को छुआ। पानी बहुत ठंडा था। महल में एक बड़ा सा कमरा था। कमरे में एक सोने का बिस्तर था। वीर बिस्तर पर लेट गया। उसे बहुत आराम महसूस हुआ। इसके बाद उसने महल के रसोईघर में जाकर देखा। रसोईघर में तरह-तरह के व्यंजन तैयार थे। वीर ने एक मिठाई खाई। मिठाई का स्वाद बहुत अच्छा था। उसने सोचा कि वह अपने दोस्तों को महल में बुलाएगा। उसने अपने दोस्तों को बुलाया। उसके दोस्त महल देखकर हैरान हो गए। उन्होंने वीर से पूछा कि यह महल उसे कैसे मिला। वीर ने उन्हें जादुई मछली की सारी बात बताई। उसके दोस्तों ने सुनहरी मछली को देखने की इच्छा जताई। वीर उन्हें तालाब के पास ले गया। सुनहरी मछली पानी से बाहर आई। उसने वीर के दोस्तों को नमस्ते कहा। वीर के दोस्तों ने मछली की तारीफ की। सुनहरी ने उनके लिए एक छोटा सा जादू दिखाया। उसने पानी में एक रंग-बिरंगी रोशनी बनाई। सभी ने तालियाँ बजाईं। वीर ने सुनहरी को धन्यवाद कहा।
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