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जंगल में हर साल एक बड़ा मेला लगता था। इस बार मेला तालाब के किनारे लगा था। जंगल के सभी जानवर मेले में आए। शेर ने मेले का उद्घाटन किया। उसने एक जोरदार दहाड़ मारी। सभी जानवरों ने तालियाँ बजाईं। मेले में रंग-बिरंगे स्टॉल थे। हिरण ने एक स्टॉल पर फूलों की माला खरीदी। उसने माला अपने गले में पहन ली। बंदर ने एक स्टॉल से केले खरीदे। उसने केले अपने दोस्तों के साथ बाँटे। कछुआ एक स्टॉल पर गया। वहाँ एक दौड़ प्रतियोगिता हो रही थी। कछुए ने दौड़ में हिस्सा लिया। उसके खिलाफ एक खरगोश था। खरगोश बहुत तेज़ था। लेकिन कछुआ धीरे-धीरे चलता रहा। खरगोश ने सोचा कि वह जीत जाएगा। उसने रास्ते में रुककर एक पेड़ के नीचे आराम करने का फैसला किया। कछुआ धीरे-धीरे आगे बढ़ता रहा। जब खरगोश की आँख खुली, तो कछुआ दौड़ जीत चुका था। सभी जानवरों ने कछुए की तारीफ की। मेले में एक नाच का आयोजन भी हुआ। मोर ने अपने पंख फैलाकर नाच शुरू किया। उसके पंखों के रंग चमक रहे थे। सभी जानवरों ने मोर के नाच को देखा। हिरण ने भी नाच में हिस्सा लिया। उसने अपने कदमों से एक सुंदर नृत्य किया। मेले में एक जादूगर भी आया। उसने अपनी टोपी से रंग-बिरंगे रुमाल निकाले। सभी जानवरों ने उसकी कला की तारीफ की। इसके बाद एक गीत प्रतियोगिता हुई। एक कौवे ने एक पुराना गीत गाया। उसकी आवाज़ सुनकर सभी हँसने लगे। एक गिलहरी ने एक नया गीत गाया। उसकी आवाज़ बहुत सुरीली थी। सूरज ढलने पर मेला खत्म हुआ। सभी जानवर अपने घर लौट गए। उन्होंने अगले साल फिर मेले में मिलने का वादा किया।
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