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रविवार को संजय का परिवार पिकनिक पर गया। वे शहर के पास एक पार्क में गए। पार्क में हरे-भरे पेड़ और रंग-बिरंगे फूल थे। संजय की माँ ने पिकनिक के लिए सैंडविच, फल और जूस तैयार किया था। संजय के पिता ने एक चटाई बिछाई। सभी ने मिलकर खाना खाया। सैंडविच का स्वाद बहुत अच्छा था। संजय ने अपनी छोटी बहन काव्या के साथ बैडमिंटन खेला। काव्या ने शटल को इतनी जोर से मारा कि वह पेड़ पर चढ़ गया। संजय ने पेड़ पर चढ़कर शटल निकाला। पिता ने उनकी तारीफ की। इसके बाद संजय की माँ ने एक छोटा सा खेल आयोजित किया। खेल में सभी को एक गीत गाना था। संजय ने एक पुराना गाना गाया। उसकी आवाज़ बहुत सुरीली थी। काव्या ने एक नया गाना गाया। उसकी आवाज़ सुनकर सभी हँसने लगे। पिता ने भी एक गाना गाया। उनकी आवाज़ बहुत भारी थी। माँ ने कहा कि पिता को गाना नहीं आता। सभी ने मिलकर तालियाँ बजाईं। पिकनिक के बाद वे पार्क में टहलने गए। पार्क में एक छोटा सा तालाब था। तालाब में संजय ने मछलियाँ देखीं। उसने मछलियों को कुछ बिस्किट के टुकड़े डाले। मछलियाँ खाने के लिए तैरकर ऊपर आईं। काव्या ने तालाब में एक कागज की नाव बनाकर डाली। नाव पानी में तैरने लगी। इसके बाद वे पार्क के एक कोने में गए। वहाँ एक छोटा सा झूला था। संजय और काव्या ने झूले पर झूलना शुरू किया। झूला ऊँचा-ऊँचा जा रहा था। काव्या को हवा में झूलने में मज़ा आ रहा था। संजय ने अपनी माँ को झूले पर बिठाया। माँ ने भी झूला झूला। पिता ने उनकी तस्वीरें खींची। सूरज ढलने पर वे घर लौट आए। संजय ने कहा कि यह उसकी सबसे अच्छी पिकनिक थी। उसने माँ से अगले रविवार फिर पिकनिक जाने की बात कही। माँ ने हँसकर कहा कि अगली बार वे और बड़ा पार्क चुनेंगे।
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