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शहर के बाहर एक पुराना स्कूल था। लोग कहते थे कि वह स्कूल भूतिया है। रात को वहाँ से अजीब-अजीब आवाज़ें आती थीं। एक दिन तीन दोस्त—विकास, सूरज, और नेहा—ने स्कूल देखने का फैसला किया। वे रात को स्कूल के पास गए। स्कूल का गेट टूटा हुआ था। अंदर अंधेरा था। विकास ने अपनी टॉर्च जलाई। स्कूल की दीवारों पर पुरानी पेंटिंग्स थीं। एक पेंटिंग में एक बूढ़े टीचर की तस्वीर थी। उसकी आँखें बहुत डरावनी थीं। अचानक स्कूल में हवा चलने लगी। हवा के साथ एक ठंडी सिहरन महसूस हुई। नेहा ने एक कक्षा में कदम रखा। वहाँ एक पुराना सा ब्लैकबोर्ड था। ब्लैकबोर्ड पर अपने आप कुछ लिखने लगा। उस पर लिखा था—जल्दी भागो। सभी दोस्त डर गए। सूरज ने कहा कि हमें यहाँ से जाना चाहिए। लेकिन नेहा ने कहा कि हमें डरने की ज़रूरत नहीं है। उसने ब्लैकबोर्ड के पास जाकर देखा। ब्लैकबोर्ड के पीछे एक छोटा सा चूहा बैठा था। चूहा ब्लैकबोर्ड पर चाक से लिख रहा था। सभी दोस्त हँसने लगे। उनकी हँसी स्कूल में गूँजने लगी। फिर उन्होंने स्कूल के बाकी कमरे देखे। एक कमरे में पुरानी किताबें रखी थीं। विकास ने एक किताब खोली। किताब में स्कूल की कहानी लिखी थी। उसमें बताया गया था कि स्कूल में पहले एक सख्त टीचर पढ़ाता था। उसकी मृत्यु के बाद लोग स्कूल को भूतिया समझने लगे। दोस्तों को समझ आया कि स्कूल में कोई भूत नहीं है। उन्होंने स्कूल की सैर पूरी की। एक कमरे में उन्हें एक पुराना सा पियानो मिला। सूरज ने पियानो बजाने की कोशिश की। लेकिन पियानो से अजीब सी आवाज़ निकली। नेहा ने हँसकर कहा कि सूरज को संगीत नहीं आता। इसके बाद वे स्कूल के बाहर आए। बाहर चाँदनी रात थी। आसमान में तारे चमक रहे थे। विकास ने एक टूटता तारा देखा। उसने अपनी आँखें बंद कीं और एक इच्छा माँगी। उसने इच्छा माँगी कि वे फिर से ऐसी सैर करें। नेहा और सूरज ने भी अपनी-अपनी इच्छाएँ माँगी। वे स्कूल से कुछ पुरानी किताबें अपने साथ ले गए। घर पहुँचकर उन्होंने अपने माता-पिता को स्कूल की सारी बातें बताईं। उनके माता-पिता ने उनकी हिम्मत की तारीफ की।
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