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रानी अपने गाँव में कुम्हार के घर गई। कुम्हार मिट्टी के बर्तन बनाता था। उसने रानी को मिट्टी का चाक दिखाया। चाक पर मिट्टी रखकर वह उसे गोल-गोल घुमाता था। मिट्टी धीरे-धीरे एक बर्तन का आकार लेने लगी। कुम्हार ने एक सुंदर मटका बनाया। रानी ने भी मिट्टी से एक छोटा सा दीया बनाया। कुम्हार ने दीये को धूप में सुखाने के लिए रख दिया। उसने रानी को बताया कि मिट्टी के बर्तन बनाने में समय लगता है। सुखाने के बाद बर्तनों को भट्टी में पकाया जाता है। रानी को मिट्टी के बर्तन बनाना बहुत अच्छा लगा। उसने कुम्हार से और बर्तन बनाने की बात सीखी।
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