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गाँव में हर साल एक अनोखा मेला लगता था। इस बार राम और श्याम अपने चाचा के साथ मेले में गए। वहाँ ऊँचे-ऊँचे झूले लगे थे, जिन्हें देखकर दोनों भाइयों की आँखें चमक उठीं। राम ने झूले पर चढ़कर गाँव का नज़ारा देखा, तो श्याम ने मिट्टी के खिलौने खरीदे। मेले में एक बड़ा सा मंच था, जहाँ नाच और गाने का आयोजन हो रहा था। गाँव की औरतें रंग-बिरंगी साड़ियाँ पहनकर नाच रही थीं। एक जादूगर ने अपनी टोपी से रंगीन रुमाल निकाले, जिसे देखकर सब हँस पड़े। राम ने चाट और जलेबी का स्वाद लिया, तो श्याम ने ठंडी कुल्फी खाई। सूरज ढलने पर मेले में रौशनी फैल गई। दोनों भाई रात को घर लौटे और चाचा को मेले की सारी बातें बताईं। उस दिन की मस्ती उन्हें हमेशा याद रही।
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